विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार

अब आप सोच रहें होंगे की भारतीय युवा संसद के इस पेज पर व्यक्तिगत, आनुष्ठानिक सदृश फोटो क्यों? तो सबसे पहले मेरा आग्रह है की आप समय निकाल कर, इसके साथ का-मेरा लिखा, मन्तव्य भी अवश्य पढ़े, मेरा व्यक्तिगत आग्रह-आप स्वीकारेंगे, विश्वास है।
कल-आज छट्ट पूजा के अवसर पर एक अरसे से बाद गाँव की ओर गए श्री मुकेश शर्मा जी के आराधन-पूजन और नमस्कारपूर्वक प्रणाम की मुद्रा-चित्र को देखने के बाद की यह सब क़वायद भर है। कल ही पढ़ने को मिला था, आलेख पुराना था। "अगर लुप्त नदी घाटी से लगातार बड़े पैमाने पर बोरवेल के जरिए पानी निकाला जाता रहा तो पाताल में पैठी नदी हमेशा के लिए सूख जाएगी, क्योंकि उसमें नए पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। वैज्ञानिक तो यही चाहते हैं कि पाताल में जमी नदी के पानी का बेहिसाब इस्तेमाल न किया जाए क्योंकि अगर ऐसा किया जाता रहा तो जो सरस्वती कोई 4,000 साल पहले सतह से गायब हुई थी, वह अब पाताल से भी गायब हो जाएगी। " इण्डिया टुडे के इस नदिसूत्र शृंखला को पढ़ते हुए दो दिन से सोच ही रहा था, की कल और उसके बाद बीबीसी हिन्दी के सम्पादक स्नेही श्री मुकेश शर्मा की फेसबुक पोस्ट देख कर लिखने से रुक नहीं पाया। देखता हूँ की इतिहास से वर्तमान से बदलने-समझने की हमारी क्षमता कम ही हुई है, भारत में पानी को लेकर गीता-बाइबल-कुरान-अवेस्ता-गुरुग्रंथ-जिनवाणी-त्रिपिटक सरीखा लेखन करने वाले सम्माननीय श्री अनुपम मिश्र जी की याद आती है, जब उनके आलेखों को रहिमन पानी राखिये के रूप में सम्पादित कर रहा था तो उनसे सुना, उनका कहा-लिखा फिर स्मृति में आने लगता है " तालाब बनवाने वालों की एक इकाई थी, बनाने वालों की दहाई थी और यह इकाई, दहाई मिलकर सैंकड़ा, हज़ार बनती थी। लेकिन पिछले दौर में थोड़ी सी नई पढ़ाई पढ़े हुये समाज के एक छोटे से हिस्से ने इस इकाई, दहाई, सैंकड़ा को शून्य ही बना दिया है।" भारत माता ग्रामवासिनी।
खेतों में फैला है श्यामल, धूल भरा मैला सा आँचल, गंगा यमुना में आँसू जल, मिट्टी कि प्रतिमा उदासिनी। दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन,
अधरों में चिर नीरव रोदन,
युग युग के तम से विषण्ण मन,
वह अपने घर में प्रवासिनी।

तीस कोटि संतान नग्न तन,
अर्ध क्षुधित, शोषित, निरस्त्र जन,
मूढ़, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन,
नत मस्तक तरु तल निवासिनी।

भारतमाता ग्रामवासिनी–सुमित्रानंदन पंत द्वारा 1940 में लिखी यह पंक्तियाँ अक्षरश तब से अब तक हूबहू ही है, या कहूं तो अब तब से अधिक बदलाव आया है। दो दशक के बाद आपका गाँव जाना, उसको अपनी पत्रकारिता के दृष्टि से इतर देखना ही वस्तुत भारतीय पक्ष है। नदियों की स्थिति हो या वायु प्रदूषण देश की दिशा इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो अनुकूलता नहीं है, हरियाणा-पंजाब-उत्तरप्रदेश और स्वयं दिल्ली की सरकार की दिलचस्पी गैस चैम्बर बनी राजधानी को लेकर कम है, राजनीती में अधिक। तमाम आरोप-प्रत्यारोप में जब तक समाज का हर-व्यक्ति अपने उत्तरदायित्व, अपने कर्तव्यों को नहीं जानेगा, कुछ सुधरने वाला नहीं है।

पिछले महीने ही कावेरी के उद्गम स्थल ताल-कावेरी जाने को मिला, देख रहा हूँ की धार्मिक भाव, अब केवल पर्यटन तक संकुचित हो गया है। धर्म का मूल स्वरुप आस्था से जुड़ा था, आस्था में किसी के प्रति घृणा को स्थान नहीं था, पर अब तो जिसमे आस्था है उसके प्रति ही विश्वास-श्रद्धा का अभाव परिलक्षित हो रहा है। छट्ट पूजा तो या पौंगल-जलीकट्टू, या राजस्थान का अपना गौरी-गणगौर पूजन सब में जनसामान्य की निष्ठा ज्यों की त्यों है, पर सरकार-राजनीति के कारण, जो समाज साडी सम्पदा को देख-रेख करता रहा था, वह नदारद है या सुसुप्त।

भूपेनदा ने पहले मूल असमिया में बाद में हम सरीखे लोगो को आगाह करने को अपने गीत को रूपांतरित करते हुए हिन्दी में भी गाया था, भावों को देखेंगे तो लगेगा की वे गंगा मैया से आग्रह कर रहे है की तुम क्यों इस देश-दुनिया का भला करने पर तुली हो, जब ये सब लोग सुधरना-संभलना ही नहीं चाह रहें। और वैसे भी भगीरथ तुम्हे केवल जिस कार्य के लिए लाया था वो उद्देश्य पूर्ण हो ही चूका है, तू क्यों उनका भला करना चाहती है जो अन्याय-अत्याचार-अन्यमनस्क भाव से दया-प्रेम-करुणा-सद्भाव-सौम्यता-संस्कार सबको त्यागने को आतुर है -

व्यक्ति रहे व्यक्ति केंद्रित
सकल समाज व्यक्तित्व रहित
निष्प्राण समाज को छोड़ती न क्यूँ ?
विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार, निःशब्द सदा ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ? छट्ट पूजन के अवसर पर नदी-माता से क्षमा, और कामना भी की .... हम कपूत अति कपटी, पर बालक तेरे। इसलिए माँ, नदी माँ, प्रकृति माता तू हमें संभालना, मार्ग देना, हमारा सम्पोषण करना, हमें भवितव्य के प्रति आगाह करना, .
निज स्वभाववश जननी! दयादृष्टि कीजै। करुणा कर करुणामयी! करुणा कर करुणामयी! चरण शरण दीजै॥ #indianyouthparliament #waterparliament #ashutoshjoshi #watertalk #BBCHindi #BBC #MukeshSharma #ChhattPuja #river #Gomati #AshutoshJoshiWakeUpIndiaMovement #mediafoundation #iyp

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